Edited By Nitika, Updated: 10 Sep, 2023 04:23 PM

उत्तराखंड के गठन के लिए आंदोलन करने वाले चिह्नित आंदोलनकारियों तथा उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिए जाने संबंधी एक विधेयक को विधानसभा की प्रवर समिति के पास भेजा गया है।
देहरादूनः उत्तराखंड के गठन के लिए आंदोलन करने वाले चिह्नित आंदोलनकारियों तथा उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिए जाने संबंधी एक विधेयक को विधानसभा की प्रवर समिति के पास भेजा गया है।
क्षैतिज आरक्षण के तहत ऊर्ध्वाधर श्रेणियों के अंतर्गत आने वाले विशेष वर्ग जैसे- महिलाओं, बुजुर्गों, समलैंगिक समुदाय और दिव्यांग व्यक्तियों आदि को आरक्षण दिया जाता है। ऊर्ध्वाधर आरक्षण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के आरक्षण को संदर्भित करता है। सत्तारूढ़ दल तथा विपक्षी सदस्यों ने विधेयक में सुधार करने तथा उत्तराखंड के गठन संबंधी आंदोलन में सक्रियता से भाग लेने वालों को और फायदा पहुंचाने के ध्येय से इसका दायरा बढ़ाने का सुझाव दिया था। सदस्य आंदोलनकारी के तौर पर पहचान की पूर्व शर्त के रूप में कम से कम 7 दिन की जेल की सजा पाए होने या आंदोलन के दौरान चोट लगने संबंधी प्रावधान को हटाने के पक्ष में थे। उनका मानना था कि इससे कई पात्र आंदोलनकारी लाभ से वंचित रह जाएंगे।
राज्य सरकार ने इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने का शुक्रवार को फैसला किया। भारतीय जनता पार्टी के विधायक विनोद चमोली ने कहा कि विधेयक में आंदोलनकारियों के पक्ष में संशोधन किया जाना चाहिए और उसके बाद ही इसे पारित किया जाना चाहिए। राज्य विधानसभा में विपक्ष के उपनेता भुवन कापड़ी ने कहा कि वे विधेयक के पक्ष में हैं, लेकिन इसके कुछ खंडों पर पुनर्विचार की जरूरत है। राज्य विधानसभा में यह विधेयक 6 सितंबर को पेश किया गया था। विधानसभा में ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित किया गया कि विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाए। यह समिति आवश्यक संशोधन के बाद 15 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को भेजेगी।