Edited By Vandana Khosla, Updated: 12 Jul, 2025 08:48 AM

नैनीतालः उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर फिर तलवार लटक गई है। उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को जारी अपने महत्वपूर्ण निर्णय में प्रदेश में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में एक से अधिक मतदाता सूचियों (नगर और गांव) में नाम होने और दो जगह से चुनाव लड़ने संबंधी...
नैनीतालः उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर फिर तलवार लटक गई है। उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को जारी अपने महत्वपूर्ण निर्णय में प्रदेश में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में एक से अधिक मतदाता सूचियों (नगर और गांव) में नाम होने और दो जगह से चुनाव लड़ने संबंधी प्रदेश चुनाव आयोग के छह जुलाई के पत्र पर रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय के इस कदम से प्रदेश चुनाव आयोग के समक्ष विभ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने ये महत्वपूर्ण निर्देश रूद्रप्रयाग निवासी शक्ति सिंह बर्थवाल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किए। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया जोरों पर है। ऐसे प्रत्याशी भी नामांकन कर रहे हैं। जिनके नाम ग्राम पंचायत और नगर पंचायत या नगर निकाय क्षेत्र की मतदाता सूचियों में अंकित हैं। यह पंचायती राज अधिनियम की धारा 9(6) और 9(7) का खुला उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि प्रदेश चुनाव आयोग की ओर से 06 जुलाई, 2025 को जारी पत्र में जिला निर्वाचन अधिकारियों को ऐसी स्थिति में पंचायती राज अधिनियम की धारा 9(13), 10(बी), 54(3) और 91(3) के अनुपालन के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि प्रदेश निर्वाचन आयोग के स्पष्ट आदेश नहीं होने के कारण निर्वाचन अधिकारी और रिटर्निंग अधिकारी ऐसे विभिन्न अभ्यर्थियों का नामांकन स्वीकार कर रहे हैं जिनके ग्राम पंचायत और नगर पंचायत की एक से अधिक मतदाता सूचियों में नाम मौजूद हैं। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वर्ष 2019 में स्वयं राज्य निर्वाचन आयोग ने ऐसे स्थिति में जिला निर्वाचन अधिकारियों को पंचायती राज अधिनियम की धारा 9(6) और (7) का अनुपालन के निर्देश दिए थे।
प्रदेश चुनाव आयोग इस मामले में अदालत को कोई ठोस जवाब नहीं दे पाया और कहा कि नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई है। नामांकन पत्रों की जांच भी कर दी गई है। पीठ ने अंत में चुनाव आयोग के छह जुलाई को जारी पत्र पर रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष चुनाव को लेकर विभ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई है। अब सवाल है कि क्या चुनाव आयोग ऐसी स्थिति में चुनाव करायेगा? यदि हां तो क्या यह न्यायालय के आदेश की अवमानना नहीं होगी। राज्य निर्वाचन आयोग के पास दो ही रास्ते बचते हैं कि इस आदेश के खिलाफ या तो उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाये या फिर पंचायत चुनाव टाले।
बता दें कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दो चरणों में होने हैं। पहले चरण का मतदान 24 जुलाई को होना है। जबकि दूसरे चरण में मतदान 28 जुलाई को तय है। दो जुलाई से पांच जुलाई तक नामांकन, सात से नौ जुलाई तक नामांकन पत्रों की जांच और 10 और 11 जुलाई को नाम वापसी थी। आगामी 14 जुलाई को चुनाव चिन्हों का आवंटन होना है।