पौड़ी में वनाग्नि बुझाने में हेलीकॉप्टर की ली गई मदद, NDRF की होगी तैनाती

Edited By Nitika, Updated: 07 May, 2024 06:59 PM

help of helicopter taken in extinguishing forest fire

उत्तराखंड के पौड़ी जिले में धधक रहे जंगलों की आग बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद ली गई जबकि वनाग्नि से अति प्रभावित पौड़ी और अल्मोड़ा जिलों में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की तैनाती करने का निर्णय भी राज्य सरकार ने लिया है।

 

देहरादूनः उत्तराखंड के पौड़ी जिले में धधक रहे जंगलों की आग बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद ली गई जबकि वनाग्नि से अति प्रभावित पौड़ी और अल्मोड़ा जिलों में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की तैनाती करने का निर्णय भी राज्य सरकार ने लिया है।

गढ़वाल के प्रभागीय वन अधिकारी स्वप्निल अनिरूद्व ने बताया कि पौड़ी के जिलाधिकारी आशीष चौहान के अनुरोध पर जिले में जंगलों की आग बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद ली गई। उन्होंने बताया कि दोपहर बाद हेलीकॉप्टर ने श्रीनगर गढ़वाल में अलकनंदा झील से बांबी बकेट में पानी भरकर डोभ-श्रीकोट के जंगलों में लगी आग बुझाई। पहले दिन हेलीकॉप्टर ने दो राउंड में लगभग पांच हजार लीटर पानी का छिड़काव किया। अनिरुद्ध ने बताय कि हेलीकॉप्टर से आग बुझाने का काम फिलहाल जारी रहेगा। उधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर प्रदेश में वनाग्नि के हालात की समीक्षा करने के बाद मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने संवाददाताओं को बताया कि वनाग्नि की विकराल समस्या पर तत्काल काबू पाने के लिए वन और पुलिस सहित सभी संबंधित विभागों के साथ चर्चा के बाद एक प्रभावी कार्ययोजना बना ली गई है। उन्होंने बताया कि जिन जगहों पर वनाग्नि की ज्यादा घटनाएं हो रही हें, वहां एनडीआरएफ की तैनाती करने का निर्णय भी लिया गया है। उन्होंने बताया कि पौड़ी तथा अल्मोड़ा जिले वनाग्नि से अत्यधिक प्रभावित हैं।

रतूड़ी ने बताया कि वनाग्नि नियंत्रण के लिए आपदा प्रबंधन विभाग से सभी जिलाधिकारियों को पांच करोड़ रुपए का बजट उपलब्ध करवा दिया गया है जबकि आग बुझाने के लिए वन और पुलिस विभाग के अतिरिक्त सभी प्रकार के मानव संसाधन को लगाया जाएगा। मुख्य सचिव ने बताया कि पहाड़ी रास्तों के लिए छोटे आकार के पानी के टैंकरों के इस्तेमाल का निर्णय भी लिया गया है। उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन विभाग इनकी खरीदारी करेगा। उन्होंने बताया कि प्रत्येक चारधाम मार्ग पर सचल दस्ता तैयार किया गया है ताकि कम से कम समय में वनाग्नि को नियंत्रित किया जा सके।

अपर प्रमुख वन संरक्षक (वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन) निशांत वर्मा ने बताया कि जिलों में कार्यरत प्रभागीय वन अधिकारी तथा उनकी टीम लगातार आग बुझाने के काम में लगी हैं, लेकिन बेहतर क्रियान्वयन के लिए राज्य मुख्यालय स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों को जिलों का नोडल अधिकारी बनाकर मौके पर भेजा गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के विभिन्न प्रभागों में करीब 4000 कर्मी (फायर वाचर) आग बुझाने के काम में लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि आग बुझाने में जोखिम को देखते हुए जल्द ही उनके बीमे की कार्यवाही पूरी कर ली जाएगी। रतूड़ी ने कहा कि खुले में कूड़ा तथा खेत में पराली आदि जलाने को प्रतिबंधित किया गया है जबकि इसके प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए प्राथमिक स्कूल के बच्चों की भी मदद लेने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा जो लोग वनाग्नि को नियंत्रण करने में मदद करेंगे उन्हें पुरस्कृत भी किया जाएगा।

इस बीच, वनाग्नि नियंत्रण में लापरवाही बरतने पर अल्मोड़ा वन प्रभाग के जोरासी रेंज के वन रेंज अधिकारी को प्रभागीय कार्यालय से संबंद्ध कर दिया गया है। प्रदेश में पिछले 24 घंटे में वनाग्नि की 20 नई घटनाएं सामने आयीं जिनसे 52.07 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ। पिछले एक सप्ताह में वनाग्नि की घटनाओं में पांच व्यक्तियों की मृत्यु हुई है जबकि चार अन्य घायल हुए हैं। इस बीच, मौसम विभाग ने सात मई से कुमांउ क्षेत्र और आठ मई से गढ़वाल क्षेत्र में बारिश का पूर्वानुमान व्यक्त किया है। मौसम केंद्र देहरादून के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि 11 मई से बारिश की गतिविधि में और तेजी आने की संभावना है जिससे वनाग्नि से निपटने में मदद मिलेगी।

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