अपर मुख्य सचिव ने कहा- जोशीमठ में मकानों में दरारों का बढ़ना रुका, पानी का रिसाव भी घटा

Edited By Nitika, Updated: 31 Jan, 2023 09:49 AM

growth of cracks in houses stopped in joshimath

उत्तराखंड के चमोली जिले में भू-धंसाव व भूस्खलन से प्रभावित जोशीमठ क्षेत्र में दरारें आने वाले भवनों और मकानों की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है तथा पानी का रिसाव भी घट रहा है।

 

चमोली/देहरादूनः उत्तराखंड के चमोली जिले में भू-धंसाव व भूस्खलन से प्रभावित जोशीमठ क्षेत्र में दरारें आने वाले भवनों और मकानों की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है तथा पानी का रिसाव भी घट रहा है। सोमवार को भू-धंसाव व भूस्खलन के सम्बन्ध में देहरादून में अपर मुख्य सचिव आनन्दवर्धन की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक में महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई। बैठक में बताया गया कि जोशीमठ भूधसाव प्रभावित क्षेत्रों में दरारें आने वाले भवनों व मकानों की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। पानी का रिसाव भी घट रहा है।

बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि पुनर्वास एवं विस्थापन हेतु चमोली के जिलाधिकारी, की ओर से तीन विकल्प प्रस्तुत किये गये हैं। पुनर्वास एवं विस्थापन हेतु विकल्पों के सम्बन्ध में शासन स्तर पर मंत्रिमण्डल के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत किए जाने की समिति द्वारा जो संस्तुतियां दी गई हैं। उसके अनुसार तकनीकी संस्थाओं की अन्तिम रिपोर्ट प्राप्त होने के उपरांत ही प्रभावित परिवारों/व्यक्तियों से उक्त प्रस्तावित विकल्पों के अनुसार सहमति प्राप्त की जाएगी। बैठक में आपदा प्रभावित व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के भी बिजली/पानी के बिल छह माह हेतु माफ किए जाने की कार्रवाई की जानकारी दी गई। बताया गया जोशीमठ में पानी का डिस्चार्ज घटकर 67 एलपीएम हो गया है। बताया गया 235 भूस्वामियों को 3.53 करोड़ रुपए तथा 121 किरायेदारों को 60.50 लाख रुपए की धनराशि वितरित की गई है। आपदा प्रबन्धन सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने जोशीमठ नगर क्षेत्र में हुए भूधंसाव व भूस्खलन के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे राहत व बचाव एवं स्थायी/अस्थायी पुनर्वास आदि से सम्बन्धित किये जा रहे कार्यो की मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि जोशीमठ क्षेत्र में हो रहे भू-धंसाव व भूस्खलन के सम्बन्ध में अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक हुई। 

बैठक में समिति को जानकारी दी गई कि जोशीमठ क्षेत्र में हो रहे भूधंसाव व भूस्खलन के कारण प्रभावित परिवारों के पुनर्वास एवं विस्थापन हेतु जिलाधिकारी ने तीन विकल्प प्रस्तुत किए हैं। पहले विकल्प में प्रभावित भू-भवन स्वामियों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए वन टाईम सेटलमेन्ट किया जाएगा। प्रभावित हुए भूमि/भवन की क्षति के मुआवजे के रूप में वन टाइम सेटलमेन्ट करते हुए भूमि/भवन का निर्धारित मानकों के अनुसार भुगतान किया जाएगा। सम्पूर्ण भुगतान करने से पूर्व संबधित प्रभावित की भूमि/भवन की रजिस्ट्री राज्य सरकार के पक्ष में की जानी होगी। दूसरे विकल्प के तहत प्रभावित भू-भवन स्वामियों को प्रभावित भूमि के सापेक्ष गृह निर्माण के लिए निश्चित अधिकतम क्षेत्रफल 100 वर्ग मी. तक की भूमि प्रदान की जाएगी तथा प्रभावित भवन का मुआवजा दिया जाएगा। प्रभावित भू-भवन स्वामियों को 100 वर्ग मी. से अधिक की भूमि होने पर शेष भूमि का मानकों के अनुसार भुगतान किया जाएगा। प्रभावित भूमि/भवन स्वामियों का संपूर्ण भुगतान करने से पूर्व व गृह निर्माण के लिए निश्चित अधिकतम क्षेत्रफल 100 वर्ग मी. तक की भूमि आवंटित करने से पूर्व संबंधित आपदा प्रभावित की भूमि/भवन की रजिस्ट्री राज्य सरकार के पक्ष में की जानी होगी। तीसरे विकल्प के तहत प्रभावितों के पुनर्वास हेतु चिन्हित स्थान पर अधिकतम 75 वर्ग मीटर क्षेत्रफल की सीमा तक की भूमि पर भवन निर्माण कर दिया जाएगा। यदि प्रभावित आवासीय भवन/भूमि का मूल्यांकन प्रदान किए जा रहे भूमि/आवास से अधिक है तो शेष धनराशि का भुगतान प्रभावित को किया जाएगा। प्रभावित भूमि भवन के सापेक्ष अधिकतम 75 वर्ग मीटर क्षेत्रफल की सीमा तक की भूमि पर भवन निर्माण कर आवंटित करने से पूर्व संबंधित आपदा प्रभावित की भूमि/भवन की रजिस्ट्री राज्य सरकार के पक्ष में की जानी होगी। जिलाधिकारी, चमोली द्वारा पुनर्वास के सम्बन्ध में प्रस्तावित उक्त तीन विकल्पों को उपयुक्त पाते हुए उक्त विकल्पों के सम्बन्ध में शासन स्तर पर माननीय मंत्रिमंडल के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत किए जाने की संस्तुति की गई है।

सचिव ने बताया कि जोशीमठ में आपदा प्रभावित क्षेत्र के संबंध में विभिन्न तकनीकी संस्थाओं द्वारा किए जा रहे सर्वे की अन्तिम रिपोर्ट आने के उपरान्त ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि जोशीमठ के कितने क्षेत्र से स्थायी रूप से विस्थापन किया जाना आवश्यक है। रिपोर्ट प्राप्त होने के उपरांत प्रभावित परिवारों/व्यक्तियों से उक्त प्रस्तावित विकल्पों के अनुसार सहमति प्राप्त की जाएगी। तत्पश्चात स्थानीय स्तर पर पीआईयू स्थायी पुनर्वास की कार्यवाही करेगी। तकनीकी संस्थानों की अन्तिम रिपोर्ट आने के उपरान्त ही जोशीमठ क्षेत्र में आपदा के न्यूनीकरण/क्षेत्र के स्थिरीकरण, टो इरोजन, ड्रेनेज प्लान इत्यादि कार्यों के सम्बंध में निर्णय लिया जाएगा। उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा यह निर्देश भी दिए गए कि जोशीमठ क्षेत्र के आपदा प्रभावित परिवारों/व्यक्तियों के साथ ही आपदा प्रभावित व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के भी बिजली/पानी के बिल छह माह हेतु माफ किए जाने की कार्रवाई की जाए। जोशीमठ आपदा प्रभावित क्षेत्र में तीन विद्यालय प्रभावित हुए हैं। इन विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों को अन्यत्र विद्यालय में स्थानान्तरित किया गया है।

मारवाड़ी क्षेत्र के छात्रों हेतु विद्यालय की व्यवस्था लगभग 12 कि0मी0 दूरी पर स्थित अन्य विद्यालय में हुई है, जिसके द्दष्टिगत समिति द्वारा निर्णय लिया गया कि मारवाडी क्षेत्र के विद्यार्थियों को लाने एवं ले जाने हेतु नि:शुल्क यातायात की व्यवस्था जिलाधिकारी, चमोली द्वारा की जाए। व्यावसायिक प्रतिष्ठान में कार्यरत कार्मिकों/श्रमिकों का रोजगार प्रभावित होने के कारण, उनको कोविड-19 के समय दी गई वित्तीय सहायता के अनुसार, सर्वे उपरान्त पृथक से वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाए जाने के सम्बन्ध में जिलाधिकारी, चमोली को प्रस्ताव उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए। एनटीपीसी, एमओआरटीएच तथा बीआरओ के प्रतिनिधियों के साथ उच्च स्तर पर बैठक आहूत किये जाने की संस्तुति समिति द्वारा की गई है। समिति द्वारा शासन स्तर से आयुक्त गढ़वाल मण्डल की अध्यक्षता में गठित अन्तर्विभागीय समन्वय एवं शिकायत निवारण समिति की पुन: बैठक आहूत किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। समिति द्वारा औली रोपवे के सम्बन्ध में पर्यटन विभाग के साथ उच्चस्तरीय बैठक किए जाने की संस्तुति की गई है। जोशीमठ क्षेत्र में जिन घरों में छोटी-छोटी दरारें आई है और भूमि को सुरक्षित पाए जाने की दशा में उक्त घरों/भवनों की रेट्रोफिटिंग हेतु धनराशि दिए जाने का जिलाधिकारी द्वारा प्रस्ताव किया गया है।

कर्णप्रयाग विधान सभा क्षेत्र के मा. विधान सभा सदस्य द्वारा नगर पालिका क्षेत्र कर्णप्रयाग क्षेत्र के बहुगुणा नगर आईटीआई क्षेत्र, सीएमपी बैंड के ऊपर, अपर बाजार, साकरी सेरा, ईणा बधाणी क्षेत्र की भूमि में आ रही दरारों को समिति के संज्ञान में लाया गया। समिति द्वारा मा. विधायक जी को यह अवगत करवाया गया कि उक्त प्रभावित क्षेत्र में भारत सरकार के सम्बन्धित संस्थानों द्वारा जियोफिजिकल, भूगर्भीय सर्वे गतिमान है एवं उक्त अध्ययन का अग्रेत्तर कार्रवाई हेतु त्वरित गति से निष्कर्ष करवा लिया जायेगा। सचिव ने बताया कि जोशीमठ में प्रारम्भ में निकलने वाले पानी का डिस्चार्ज जो कि छह जनवरी 2023 को 540 एलपीएम था, वर्तमान में घटकर 67 एलपीएम हो गया है। क्षेत्र में दराग्रस्त भवनों की संख्या में वृद्धि नही हुई है। दरारग्रस्त भवनों की संख्या 863 ही है। जोशीमठ में 235 भूस्वामियों को 3.53 करोड़ रुपए की धनराशि तथा 121 किराएदारों को 60.50 लाख रुपए की धनराशि वितरित की जा चुकी है। इसके अलावा 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में है। साथ ही 253 परिवार सुरक्षा की दृष्टि से अस्थायी रूप से विस्थापित किए गए है। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 920 है।

इसके अतिरिक्त 43 प्रभावित परिवार अपने रिश्तेदारों या किराए के मकानों में चले गए है। सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि अस्थायी रूप से चिन्ह्ति राहत शिविरों में जोशीमठ में कुल 661 कक्ष हैं, जिनकी क्षमता 2957 लोगों की है तथा पीपलकोटी में 491 कक्ष हैं, जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है। गांधीनगर में एक, सिंहधार में दो, मनोहरबाग में पांच तथा सुनील में सात क्षेत्र/वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं।
 

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