Edited By Vandana Khosla, Updated: 04 Jan, 2025 12:49 PM
देहरादूनः उत्तराखंड में संपूर्ण सरकारी मशीनरी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा निर्धारित एक महीने की समय-सीमा के भीतर राज्य में भारत की पहली समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के लिए पूरी तरह सक्रिय हो गई है। धामी ने एक जनवरी को नए साल की...
देहरादूनः उत्तराखंड में संपूर्ण सरकारी मशीनरी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा निर्धारित एक महीने की समय-सीमा के भीतर राज्य में भारत की पहली समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के लिए पूरी तरह सक्रिय हो गई है। धामी ने एक जनवरी को नए साल की शुरुआत में कहा था कि हम 2025 को उत्तराखंड के राज्य बनने की रजत जयंती वर्ष के रूप में मना रहे हैं। यह बड़ी उपलब्धियों का वर्ष होगा। हमने समान नागरिक संहिता लाने का अपना वादा निभाया है। हम इसे जनवरी में लागू करेंगे। हालांकि अभी तक कोई तारीख नहीं बताई गई है, लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि इसे गणतंत्र दिवस पर लागू किया जा सकता है।
"गृह विभाग को समान नागरिक संहिता लागू करने का सौंपा गया काम"
यूसीसी के कार्यान्वयन के वास्ते नियम तैयार करने के लिए पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति ने अक्टूबर 2024 में अपनी अंतिम रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी थी और गृह विभाग को इसे लागू करने का काम सौंपा गया है। संबंधित विभागों के कर्मचारियों को कानून के प्रावधानों और उन्हें जमीनी स्तर पर लागू करने के तरीके के बारे में शिक्षित करने के लिए परिचय सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। यूसीसी का मसौदा तैयार करने और इसके कार्यान्वयन के लिए नियम बनाने वाली समिति का हिस्सा रहीं दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल ने बताया कि जिला, प्रखंड और तहसील स्तर पर कर्मचारियों को इसके कार्यान्वयन के बारे में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी कवायद है जो अपने अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा कि लोगों को कानून के प्रावधानों के बारे में जानकारी देने के लिए एक पोर्टल बनाया गया है और लोगों को घर बैठे अपनी शादी या लिव-इन रिश्ते को पंजीकृत करने में मदद करने के लिए एक ऐप भी बनाया जा रहा है। डंगवाल ने कहा कि यह प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए किया गया है ताकि लोगों को अपने विवाह और लिव-इन रिश्ते के अनिवार्य पंजीकरण के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर न लगाने पड़ें। यूसीसी सभी विवाहों और लिव-इन संबंधों का पंजीकरण अनिवार्य बनाता है।
"स्वतंत्र भारत में यूसीसी अधिनियम लागू करने वाला पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड"
डंगवाल ने कहा कि सरल और उपयोगकर्ता अनुकूल प्रक्रिया से कानून के प्रावधानों का अनुपालन बेहतर होगा। समान नागरिक संहिता कई वर्षों से राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में रही है। लेकिन उत्तराखंड में पार्टी की सरकार पिछले साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इसे लागू करने की दिशा में ठोस कदम उठाने वाली पहली सरकार बन गई। धामी द्वारा गठित और उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली एक विशेषज्ञ समिति ने फरवरी 2024 में राज्य सरकार को चार खंडों में एक व्यापक मसौदा प्रस्तुत किया। मसौदे पर कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार ने कुछ दिनों बाद उत्तराखंड समान नागरिक संहिता विधेयक विधानसभा में पेश किया और इसे सात फरवरी को पारित कर दिया गया। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) अधिनियम को 11 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई, जिससे यह पहाड़ी राज्य स्वतंत्र भारत में यूसीसी अधिनियम लागू करने वाला पहला राज्य बन गया।
"समान नागरिक संहिता को इसी महीने यानी जनवरी में किया जाएगा लागू"
पूर्व मुख्य सचिव सिंह की अध्यक्षता में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त नौ सदस्यीय समिति ने यूसीसी के कार्यान्वयन के लिए नियम निर्धारित करने के वास्ते अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत दी और धामी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यूसीसी को जनवरी में लागू किया जाएगा। यूसीसी का उद्देश्य राज्य के सभी नागरिकों (अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर) के लिए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और विरासत पर एक जैसे और समान नियम स्थापित करना है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। यह सभी विवाहों और लिव-इन रिश्तों के पंजीकरण को अनिवार्य बनाता है। असम सहित कई भाजपा शासित राज्य पहले ही उत्तराखंड की समान नागरिक संहिता को मॉडल के रूप में अपनाने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं। दिल्ली में उत्तराखंड के रेजिडेंट कमिश्नर अजय मिश्रा ने कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के क्रियान्वयन की तैयारियां जोरों पर हैं। हाल ही में राज्य के सभी 13 जिलों के जिलाधिकारियों के साथ इसके क्रियान्वयन के संबंध में एक परिचय सत्र आयोजित करने वाले मिश्रा ने कहा कि अंतर-विभागीय कार्मिकों का प्रशिक्षण उन्नत चरण में है।