उत्तराखंड में अत्यंत जोखिम वाली 5 हिमनद झीलों का आकलन करेंगे विशेषज्ञ दल

Edited By Nitika, Updated: 28 Mar, 2024 02:18 PM

expert team will assess 5 glacial lakes at extreme risk

उत्तराखंड सरकार ने राज्य में पांच हिमनद झीलों के जोखिम आकलन और सर्वेक्षण के लिए विशेषज्ञों के दो दल गठित किए हैं। उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने कहा कि इन दलों द्वारा इस साल मई-जून में इन झीलों पर काम शुरू किया जाना प्रस्तावित है।

 

देहरादूनः उत्तराखंड सरकार ने राज्य में पांच हिमनद झीलों के जोखिम आकलन और सर्वेक्षण के लिए विशेषज्ञों के दो दल गठित किए हैं। उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने कहा कि इन दलों द्वारा इस साल मई-जून में इन झीलों पर काम शुरू किया जाना प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्यों में स्थित 188 हिमनद झीलों में से 13 उत्तराखंड में हैं और बाढ़ के खतरे के अनुसार इन्हें श्रेणीबद्ध किया गया है।

उत्तराखंड में फरवरी 2021 में चमोली जिले में हिमनद से बनी झील के फट जाने से ऋषिगंगा नदी पर बनी एक लघु जलविद्युत परियोजना बह गई थी और बाढ़ आ गई थी, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई। ‘हिमनद झील के फटने से बाढ़' (जीएलओएफ) एक घटनाक्रम है, जिसमें हिमनद से बनी झील का पानी तेजी से और अचानक बहने से बाढ़ आ जाती है। सिन्हा ने मंगलवार को हिमनद झीलों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के आपदा प्रबंधन विभाग के साथ एक ऑनलाइन बैठक में भाग लिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की 13 हिमनद झीलों को ‘ए', ‘बी' और ‘सी' श्रेणी में बांटा गया है, जिसमें ‘ए' सबसे अधिक संवेदनशील हैं। इनमें पांच झील ‘ए' श्रेणी में, चार ‘बी' श्रेणी में और चार ‘सी' श्रेणी में आती हैं।

उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, जम्मू कश्मीर, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश जैसे हिमालयी राज्यों के मुख्य सचिवों और अधिकारियों ने बैठक में भाग लिया। सिन्हा ने कहा कि पांच अत्यंत संवेदनशील झीलों में से चार पिथौरागढ़ जिले में और एक चमोली में है। सिन्हा ने बताया कि पहले चरण में पांच अत्यंत संवेदनशील हिमनद झीलों से खतरे के आकलन के लिए दो अलग-अलग दल बनाए गए हैं। जोखिम आकलन का काम इस साल मई-जून में शुरू हो सकता है। पहले दल में राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की; भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, लखनऊ; भारतीय सुदूर संवेदी सेंसिंग संस्थान, देहरादून; उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण; और उत्तराखंड भूस्खलन शमन और प्रबंधन केंद्र के विशेषज्ञ शामिल हैं जो दो हिमनदी झीलों की संवेदनशीलता का आकलन करेंगे।

सिन्हा के मुताबिक सीडेक, पुणे की अगुवाई वाले दूसरे दल में देहरादून स्थित भारतीय सुदूर संवेदी संस्थान; वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान; उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और उत्तराखंड भूस्खलन शमन और प्रबंधन केंद्र के विशेषज्ञ 'ए' श्रेणी में आने वाली अन्य तीन हिमनद झीलों का अध्ययन और सर्वेक्षण करेंगे।

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