बैरागी संतों ने की कुटियाओं को तोडे़ जाने की निंदा, आमरण अनशन की दी चेतावनी

Edited By Nitika, Updated: 03 Feb, 2023 11:31 AM

bairagi saints warned of fast unto death

उत्तराखंड की धर्मनगरी हरिद्वार में बैरागी संतों ने अतिक्रमण हटाने के नाम पर उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा उनकी कुटियाओं को तोडे़ जाने की निंदा करते हुए चेतावनी दी है।

 

हरिद्वारः उत्तराखंड की धर्मनगरी हरिद्वार में बैरागी संतों ने अतिक्रमण हटाने के नाम पर उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा उनकी कुटियाओं को तोडे़ जाने की निंदा करते हुए चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर 13 फरवरी तक उन्हें दोबारा नहीं बनाया गया तो वे आमरण अनशन करेंगे। यहां निर्मोही अनी अखाड़े में एक बैठक कर बैरागी कैंप क्षेत्र में रहने वाले संतों ने उत्तर प्रदेश सरकार से भी संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।

संतों ने अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला दर्ज करने की भी चेतावनी दी। बड़ी संख्या में एकत्रित संतों को संबोधित करते हुए दिगंबर अखाड़े के महंत बाबा बलराम दास हठयोगी ने कहा कि बैरागी कैंप की भूमि बैरागी अखाड़ों के लिए आरक्षित कुंभ मेला भूमि है, जहां तीनों बैरागी अखाड़ों-श्रीपंच निर्माही अनी अखाड़ा, श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़ा एवं श्रीपंच दिगम्बर अनी अखाड़ा की छावनियां लगती हैं। उन्होंने कहा कि अखाड़े के कुछ संत वहां कुटिया बनाकर रहते हैं और भजन-कीर्तन आदि करते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग अतिक्रमण के नाम पर बार बार संतों का उत्पीड़न करता है, जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। स्थानीय पार्षद सचिन अग्रवाल ने बताया कि बैरागी कैंप में अतिक्रमण के संबंध में कांग्रेस नेता धर्मवीर सैनी द्वारा उत्तराखंड उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका पर सिंचाई विभाग ने 658 परिवारों की एक सूची बनाई थी, जिसे अवैध अतिक्रमण के नाम पर हटाया जाना था।

अग्रवाल ने बताया कि इन 658 परिवारों में ये तीनों अखाड़े भी शामिल हैं, जिसके खिलाफ संतों ने उच्च न्यायालय में अपील की थी। उन्होंने कहा कि अदालत से उन्हें स्थगनादेश मिल गया, जिसकी प्रति कई दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग को भी उपलब्ध करा दी गई थी। निर्मोही अखाड़े के महंत विष्णु दास महाराज ने कहा कि अभी यह भी तय नहीं है कि यह भूमि उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की है या उत्तराखंड सिंचाई विभाग की लेकिन उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग संतों का उत्पीड़न कर रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बैरागी कैंप में सैकड़ों की संख्या मे मौजूद अवैध स्थाई निर्माण को नहीं हटाया जा रहा है और केवल बैरागी अखाड़ों को ही निशाना बनाया जा रहा है।

बैठक में मौजूद संतों ने कहा कि यदि तोड़े गए निर्माण कार्य 13 फरवरी तक ठीक नहीं करवाए गए तो फिर आमरण अनशन के साथ अदालत की अवमानना की कार्रवाई भी की जाएगी। संतों ने उत्तर प्रदेश सरकार से संतों का उत्पीड़न करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने की भी मांग की। हरिद्वार में कुंभ मेलों के दौरान तीनों बैरागी अखाड़ों को अपने शिविर लगाने के लिए बैरागी कैंप में जमीन आवंटित की जाती है। इन ज़मीनों पर कुंभ के बाद भी संतों के पूजा स्थल अस्थायी रूप से बने रहते हैं। साल 2021 के कुंभ के दौरान संतों ने आवंटित भूमि पर चारदीवारी के साथ मंदिर तथा सत्संग भवन का पक्का निर्माण करवा लिया था, जिसे सिंचाई विभाग ने अतिक्रमण बताते हुए तोड़ने की बात कही। दो दिन पहले सिंचाई विभाग जेसीबी मशीन लेकर बैरागी अखाड़ों के कैंपों में पहुंचा और कुटियाओं को तोड़ना शुरू किया, जिससे संत भड़क गए और मौके पर हंगामा शुरू कर दिया। एक संत ने मौके पर ही अपने गमछा से गला घोंटकर आत्महत्या करने की कोशिश भी की, जिसे पुलिस ने बमुश्किल रोका। इस पर अधिकारी अपने अभियान को रोक कर 15 दिन का समय देकर वापस लौट गए थे।

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