अजय टम्टा ने 23 साल की उम्र में राजनीति शुरू कर हासिल किया नया मुकाम, जानिए इनका राजनीतिक जीवन

Edited By Nitika, Updated: 10 Jun, 2024 03:34 PM

ajay tamta achieved a new milestone

उत्तराखंड के अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ लोकसभा क्षेत्र से लगातार तीसरी बार सांसद निर्वाचित अजय टम्टा ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गठित तीसरे मंत्रिमंडल (कैबिनेट) में दोबारा राज्यमंत्री पद की शपथ ली।

 

देहरादूनः उत्तराखंड के अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ लोकसभा क्षेत्र से लगातार तीसरी बार सांसद निर्वाचित अजय टम्टा ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गठित तीसरे मंत्रिमंडल (कैबिनेट) में दोबारा राज्यमंत्री पद की शपथ ली। इससे पहले वह मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2014 में गठित कैबिनेट में वस्त्र उद्योग राज्यमंत्री रह चुके हैं। उन्होंने महज 13 साल की अल्पायु में राजनीति के क्षेत्र में प्रवेश कर लिया था। मृदु भाषी और सहजता से परिपूर्ण इस सांसद को आम जनता से जुड़ने की महारत हासिल है। यह महारत उन्हें अपने छात्र जीवन से प्राप्त है। वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के रास्ते मुख्य धारा की राजनीति में आए हैं।

अजय टम्टा का जन्म 16, जुलाई, 1972 को अल्मोड़ा में हुआ था। इनके पिता का नाम स्व मनोहर लाल टम्टा एवं माता निर्मला टम्टा हैं। उनके पिता डाक विभाग में अधिकारी थें और मां गृहणी थी। यह 6 बहन, भाइयों में तीसरे नम्बर के हैं। लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए टम्टा ने 23 वर्ष की उम्र में राजनीति की शुरुआत की। अपने अब तक के राजनीतिक जीवन में उन्होंने आठ बार चुनाव लड़ा और सात में जीत दर्ज कर अपने को राजनीति में स्थापित किया। कैबिनेट का हिस्सा बनें अजय टम्टा ने 1993 में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की थी और फिर सक्रिय राजनीति में आ गए थें, जिसके कारण वह स्नातक की पढ़ाई नहीं कर पाए। लेकिन कोविड 19 के दौरान, 2020 में 50 वर्ष की उम्र में उन्होंने स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ (उत्तर प्रदेश) से बीए की पढ़ाई शुरू की, जिसे उन्होंने 2023 में पूरा किया। इससे पूर्व, वर्ष 1996 में जिला पंचायत सदस्य के रूप में उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई। इसी वर्ष वह जिला पंचायत उपाध्यक्ष चुने गए।

केंद्रीय मंत्री टम्टा वर्ष 1999 से 2000 तक जिला पंचायत अध्यक्ष रहे। तब उन्होंने सबसे कम उम्र का अध्यक्ष बनने का रिकॉर्ड बनाया। 2002 में सोमेश्वर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पहला विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली। 2007 में भाजपा के टिकट पर फिर से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वर्ष 2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन जीत की दहलीज तक पहुंचने से चूक गए। उन्होंने 2012 में सोमेश्वर सीट से ही विधानसभा तक का सफर तय किया। पार्टी ने वर्ष 2014 में उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतारा, जिस पर वह खरे उतरे। 2019 के लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड मतों से लगातार दूरी जीत दर्ज की। 2024 के चुनाव में भी परिणाम उनके और पार्टी के पक्ष में आए हैं और इस सीट पर वह जीत की हैट्रिक लगाने वाले तीसरे सांसद बने हैं।

अल्मोड़ा संसदीय सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने वाले टम्टा चौथे नेता बने हैं। वहीं इससे पहले यह रिकॉर्ड कांग्रेस के जंग बहादुर बिष्ट, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और भाजपा के बची सिंह रावत के नाम दर्ज था। लोकसभा चुनाव में उनकी लगातार तीसरी जीत ने उनका कद बढ़ाने का काम किया है और वह एक कुशल राजनीतिज्ञ की श्रेणी में शामिल हो गए हैं।
 

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