Edited By Vandana Khosla, Updated: 21 Mar, 2025 08:41 AM

पौड़ीः उत्तराखंड के पौड़ी जिले की एक अदालत ने करीब तीन साल पहले पिंजरे में कैद एक तेंदुए को जिंदा जलाने के मामले में सपलौड़ी गांव के तत्कालीन ग्राम प्रधान अनिल कुमार नेगी समेत पांच ग्रामीणों को एक-एक साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई है। अभियोजन...
पौड़ीः उत्तराखंड के पौड़ी जिले की एक अदालत ने करीब तीन साल पहले पिंजरे में कैद एक तेंदुए को जिंदा जलाने के मामले में सपलौड़ी गांव के तत्कालीन ग्राम प्रधान अनिल कुमार नेगी समेत पांच ग्रामीणों को एक-एक साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई है। अभियोजन पक्ष ने यह जानकारी दी।
अभियोजन पक्ष ने बताया कि पौड़ी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लक्ष्मण सिंह ने बृहस्पतिवार को नेगी के अलावा, चोपड़ा गांव के देवेंद्र सिंह, सरडा गांव की सरिता देवी, भुवनेश्वरी देवी व कैलाशी देवी को घटना का दोषी ठहराते हुए कारावास की सजा के साथ ही 35-35 हजार रुपये का अर्थ दंड भी लगाया है। अर्थ दंड जमा न करने पर दोषियों को 15 दिन के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी। उसने बताया कि जिले के पाबौ क्षेत्र के भट्टी गांव, सरड़ा, कुल मोरी व सपलौडी सहित क्षेत्र के कई गांवों में 2022 में तेंदुए का आतंक बना हुआ था।
गौरतलब 15 मई 2022 को सपलौड़ी गांव की निवासी सुषमा देवी को तेंदुए ने अपना शिकार बनाया था। अभियोजन पक्ष के मुताबिक घटना के बाद ग्रामीणों की मांग पर वन विभाग ने 16 मई 2022 को सपलौड़ी में दो पिंजरे लगाए थे। जिनमें से एक पिंजरे में एक तेंदुआ कैद हो गया था। इस दौरान वन कर्मी जब पिंजरे में कैद तेंदुए को लेने के लिए गांव पहुंचे तो वहां बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुट गई और उसने तेंदुए को जिंदा आग के हवाले कर दिया था। मामले में वन दरोगा की तहरीर पर पुलिस कोतवाली पौड़ी में पांच नामजद और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम तथा लोक सेवक के कामकाज में बाधा उत्पन्न करने सहित भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था।