Edited By Nitika, Updated: 21 Apr, 2024 11:35 AM
उत्तराखंड में सम्पन्न लोकसभा चुनावों में निर्वाचन आयोग की तमाम कोशिशों के बाद भी मतदान प्रतिशत नही बढ़ सका। उत्तराखंड की सभी पांचों लोकसभा सीट पर कल मतदान हुआ, जिसमें मतदान प्रतिशत बढ़ने के स्थान पर गत लोकसभा चुनावों से भी कम मतदान होने से राजनैतिक...
देहरादूनः उत्तराखंड में सम्पन्न लोकसभा चुनावों में निर्वाचन आयोग की तमाम कोशिशों के बाद भी मतदान प्रतिशत नही बढ़ सका। उत्तराखंड की सभी पांचों लोकसभा सीट पर कल मतदान हुआ, जिसमें मतदान प्रतिशत बढ़ने के स्थान पर गत लोकसभा चुनावों से भी कम मतदान होने से राजनैतिक दलों के माथे पर चिन्ता बढ़ गई है, वहीं निर्वाचन आयोग भी अपने अपेक्षाओं के फलीभूत नही होने से चिंतित है।
राज्य में इस बार मतदान का कुल औसत 53.56 प्रतिशत रहा। जबकि साल 2019 का औसत 58.01 प्रतिशत था। यह पहली बार हुआ कि राज्य के 25 स्थानों पर आम जनता से मतदान का वहिष्कार किया। जबकि गत चुनाव में महज 12 जगह चुनाव वहिष्कार किया गया। इससे साबित होता है कि जन प्रतिनिधियों और प्रशासनिक स्तर पर सड़क, पानी जैसे मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता पर अभी तक गंभीरता से काम नहीं किया जा रहा। परिणाम स्वरूप आम जनता में उनके प्रति आक्रोश और खिन्नता है। कम मतदान प्रतिशत से भाजपा और कांग्रेस दोनों में अब चिंतन, मनन शुरू हो गया है।
वहीं कांग्रेस पहले से ही व्यापक जनसमर्थन जुटाने में पीछे रही। उसके बड़े नेताओं में मात्र प्रियंका गांधी वाड्रा और सचिन पायलट ही यहां पहुंचे, जबकि भाजपा तो पिछले दो वर्ष से लगातार विभिन्न तरीके से अभियान चलाकर सभी पांच लोकसभा क्षेत्रों में पांच लाख से ज्यादा मत हासिल करने के लिए जी जान से जुटी रही। इसके बावजूद मतदाताओं का मतदान में रुझान नही होना विचारणीय है।