Edited By Ramanjot, Updated: 08 Dec, 2024 02:39 PM
अधिकारी ने कहा कि इस तरह की घटनाओं में कई बार लोगों की जान भी चली जाती है। उन्होंने बताया कि गंगोत्री और यमुनोत्री राजमार्गों पर सक्रिय भूस्खलन क्षेत्र वर्षों से चारधाम यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए बड़ी समस्या रहे हैं। बीआरओ कमांडर विवेक...
उत्तरकाशी: उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में भूस्खलन रोकने के लिए ‘रॉक बोल्ट' प्रौद्योगिकी एक सफल उपाय साबित हो रही है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा कि राज्य के पहाड़ी इलाकों में खासकर मानसून के मौसम में भूस्खलन की घटनाएं प्राय: होती रहती हैं, जिससे सड़कें अवरुद्ध हो जाती हैं और चारधाम यात्रियों को असुविधा होती है।
अधिकारी ने कहा कि इस तरह की घटनाओं में कई बार लोगों की जान भी चली जाती है। उन्होंने बताया कि गंगोत्री और यमुनोत्री राजमार्गों पर सक्रिय भूस्खलन क्षेत्र वर्षों से चारधाम यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए बड़ी समस्या रहे हैं। बीआरओ कमांडर विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि ‘ऑस्ट्रेलियाई रॉक बोल्ट' प्रौद्योगिकी के तहत भूस्खलन की आशंका वाली जगह पर ‘सोल नेलिंग' और ‘रॉक बोल्टिंग' तकनीक का उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि इसका इस्तेमाल वर्तमान में उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री राजमार्ग पर रतूड़ीसेरा और बंदरकोट में सक्रिय भूस्खलन क्षेत्रों में इससे बचाव के लिए उपाय के रूप में किया जा रहा है।
श्रीवास्तव ने बताया कि इस तकनीक का इस्तेमाल पहले भी नालूपानी और चुंगी बड़ेथी भूस्खलन क्षेत्रों में किया गया था। बीआरओ अधिकारी ने बताया कि भूस्खलन रोकने में यह प्रौद्योगिकी 90 फीसदी कारगर है। उन्होंने कहा कि चारधाम सड़क परियोजना के तहत किए गए चौड़ीकरण कार्य में वर्षों से सक्रिय भूस्खलन क्षेत्रों को दुरुस्त करने में इस तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है। श्रीवास्तव ने बताया कि अब यही तकनीक रतूड़ीसेरा और बंदरकोट में भी इस्तेमाल की जा रही है। अधिकारी ने बताया कि रतूड़ीसेरा में इस कार्य पर 19.8 करोड़ रुपए और बंदरकोट में 9.3 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।