Edited By Ramanjot, Updated: 22 Jul, 2023 10:30 AM

हरिद्वार पहुंचकर जलभराव तथा बाढ़ की स्थिति की समीक्षा करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों भारी वर्षा के कारण जिन क्षेत्रों में जलभराव या बाढ़ की स्थिति पैदा हुई, उन्हें आपदा क्षेत्र घोषित किया जाएगा। उन्होंने आपदाग्रस्त क्षेत्रों में आगामी...
देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को हरिद्वार जिले में बारिश के कारण जलभराव या बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों को आपदाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने तथा उनमें आगामी तीन माह तक विद्युत, जल तथा अन्य सरकारी देय एवं ऋणों की वसूली को स्थगित रखने की घोषणा की। उधर, प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर तेज बारिश होने से बदरीनाथ तथा यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग सहित अन्य सड़कें भूस्खलन के कारण बाधित हो गईं।
हरिद्वार पहुंचकर जलभराव तथा बाढ़ की स्थिति की समीक्षा करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों भारी वर्षा के कारण जिन क्षेत्रों में जलभराव या बाढ़ की स्थिति पैदा हुई, उन्हें आपदा क्षेत्र घोषित किया जाएगा। उन्होंने आपदाग्रस्त क्षेत्रों में आगामी तीन माह तक विद्युत, जल, अन्य सरकारी देय एवं ऋणों की वसूली को स्थगित रखने की भी घोषणा की। धामी ने कहा कि आपदाग्रस्त क्षेत्रों में तीव्रता से व्यापक सर्वेक्षण करवाकर तत्काल राहत राशि का वितरण सुनिश्चित कराया जाएगा। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि भविष्य में इस प्रकार की आपदा की पुनरावृत्ति रोकने एवं बचाव के लिए बाढ़ प्रबंधन योजना पर कार्य किया जाएगा, जिसमें जल निकासी की व्यापक योजना तैयार कर कार्य कराया जाना एवं आवश्यकतानुसार छोटी पुलियों का निर्माण कराया जाना शामिल है।
मुख्यमंत्री ने भविष्य में बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए नदियों को चैनेलाइज करने की दिशा में कदम उठाए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि आपदाग्रस्त क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार स्थाई बाढ़ राहत केन्द्रों का निर्माण कराया जाएगा। इससे पहले, अधिकारियों के साथ एक बैठक में मुख्यमंत्री ने जलभराव वाले क्षेत्रों में पेयजल, स्वास्थ्य, संचार, विद्युत आदि सभी व्यवस्थाओं का सामान्य रूप से संचालन सुनिश्चित करने को कहा। पिछले दिनों भारी बारिश के कारण हरिद्वार जिले की रूड़की, लक्सर, भगवानपुर तथा हरिद्वार तहसीलों के 71 गांवों में जलभराव तथा बाढ़ के हालात पैदा हो गए थे जिसके चलते कई परिवारों को रिश्तेदारों व किराये के मकानों में जाना पड़ा जबकि 81 परिवारों को अस्थाई राहत केंद्रो में स्थानांतरित करना पड़ा।