गौला नदी के पानी में बैक्टीरिया, जल संस्थान ने परीक्षण के बाद कहा- पीने योग्य है पानी

Edited By Nitika, Updated: 16 Aug, 2024 04:15 PM

bacteria in the water of gaula river

हल्द्वानी: उत्तराखंड में हल्द्वानी के लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए जीवनदायिनी गौला नदी से मिलने वाले पीने के पानी का परीक्षण किया गया है। गौला नदी के कच्चे पानी में बैक्टीरिया की मात्रा तो कुछ हद तक ज्यादा मिला है, लेकिन पानी की फिल्टर होने...

हल्द्वानी: उत्तराखंड में हल्द्वानी के लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए जीवनदायिनी गौला नदी से मिलने वाले पीने के पानी का परीक्षण किया गया है। गौला नदी के कच्चे पानी में बैक्टीरिया की मात्रा तो कुछ हद तक ज्यादा मिला है, लेकिन पानी की फिल्टर होने के बाद इस पानी को पीने योग्य बताया गया है।

दरअसल, पहाड़ों में हो रही लगातार बारिश के चलते गौला नदी का जलस्तर बढ़ा है। इसी बीच पानी की गुणवत्ता को देखते हुए बीती 8 अगस्त को कच्चे पानी और फिल्टर के बाद मिलने वाले पानी की सैंपलिंग करवाई गई है। इस दौरान गौला नदी के कच्चे पानी में बैक्टीरिया की मात्रा 100  मिलीलीटर (ml) पानी में 5.2mpn पाई गई थी। जो कुछ हद तक ज्यादा है, लेकिन फिल्ट्रेशन के बाद पानी की गुणवत्ता बिल्कुल ठीक है। हालांकि बीती 12 अगस्त को दोबारा पानी की सैंपलिंग करवाई गई, तो गौला नदी के कच्चे पानी में बैक्टीरिया की मात्रा कम मिली है। परीक्षण के बाद पानी गौला नदी का पानी पीने के लिए और नहाने के लिए बेहतर है। माना जा रहा है कि भारी बारिश के चलते सिल्ट आने की वजह से गौला नदी के कच्चे पानी में बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ सकती है हालांकि पानी की फिल्टर होने के बाद पानी की गुणवत्ता बिल्कुल ठीक है।

वहीं गौला नदी से जो कच्चा पानी  पेयजल संस्थान की फिल्टर प्लांट को जाता है, उस पानी को फिल्टर करने के लिए क्लोरीन और फिटकरी का उपयोग किया जाता है। पानी की गुणवत्ता ठीक है या नहीं, इसके लिए पहले गौला नदी के कच्चे पानी के सैंपलिंग की जाती है। यदि कच्चे पानी की सैंपलिंग में प्रदूषण का खतरा रेड लेवल को दर्शाता है, तो फिल्ट्रेशन के बाद पानी की सैंपलिंग करवााई जाती है, जिससे यह पता चलता है कि आम जनता को जो पानी पीने के लिए दिया जा रहा है, उसकी गुणवत्ता ठीक है या नहीं।

बता दें कि हल्द्वानी की 5 लाख से ज्यादा की आबादी गौला नदी से होने वाली पेयजल सप्लाई पर निर्भर है। ऐसे में आम जनता के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए पेयजल संस्थान ने पीने के पानी का परीक्षण करवाया तो पता चला कि पीने के पानी की गुणवत्ता बिल्कुल ठीक है, हालांकि मानसून के चलते नदी में सिल्ट आने की वजह से बैक्टीरिया की मात्रा कुछ बड़ी है लेकिन फिल्टर होने के बाद पानी की गुणवत्ता बिल्कुल ठीक है, जो आम जनता के लिहाज से राहत देने वाली खबर है।

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