Edited By Vandana Khosla, Updated: 25 Mar, 2025 09:30 AM

देहरादूनः उत्तराखंड में एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केंद्र तथा भारत स्काउट एवं गाइड के स्वयंसेवकों के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से ‘आपदा मित्र' बनने का सुनहरा अवसर मिला है। केंद्र की महत्वाकांक्षी ‘युवा आपदा...
देहरादूनः उत्तराखंड में एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केंद्र तथा भारत स्काउट एवं गाइड के स्वयंसेवकों के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से ‘आपदा मित्र' बनने का सुनहरा अवसर मिला है। केंद्र की महत्वाकांक्षी ‘युवा आपदा मित्र परियोजना' के अन्तर्गत, राज्य में 4310 स्वयंसेवकों को आपदाओं का सामना करने में सक्षम तथा फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में दक्ष बनाया जाएगा। सोमवार को आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने इस योजना को लागू किए जाने के संदर्भ में, उक्त सभी चार युवा संगठनों के प्रतिनिधियों तथा उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) के अधिकारियों के साथ बैठक कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
आपदा प्रबंधन अधिकारी सुमन ने बताया कि राज्य के जो युवा, एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केंद्र और भारत स्काउट एवं गाइड के स्वयंसेवक हैं, इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना का उद्देश्य समुदायों को व्यवहार परिवर्तन के माध्यम से आपदाओं का सामना करने में सक्षम बनाना और उन्हें फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में दक्ष करना है, ताकि किसी भी आपदा के समय वे राहत और बचाव कार्यों के साथ ही आपदा न्यूनीकरण और प्रबंधन के प्रयासों में अपना योगदान दे सकें। उन्होंने बताया कि 25 जुलाई 2024 को गृह मंत्री अमित शाह ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी और इसका संचालन एनडीएमए के दिशा-निर्देश और देखरेख में होगा। सुमन ने बताया कि यह योजना देश के 315 जिलों में लागू की गई है। पूरे देश में दो लाख, 37 हजार, 326 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया जाना है। साथ ही, पूर्व में प्रशिक्षित 1300 आपदा मित्रों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
प्रबंधन अधिकारी ने बताया कि यह योजना राज्य के 11 जनपदों में लागू की गई है। जिसके अन्तर्गत 4310 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा और 20 प्रशिक्षित आपदा मित्रों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षण दिया जाएगा। सचिव के अनुसार युवा आपदा मित्र योजना के अंतर्गत स्वयंसेवकों की आयु 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए। उसे संबंधित जनपद का निवासी होना चाहिए तथा एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केंद्र या भारत स्काउट-गाइड में नामांकन होना चाहिए। वह कम से कम 7 वीं कक्षा उत्तीर्ण हों। शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। साथ ही, महिला स्वयंसेवकों की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पचास फीसदी महिला स्वयं सेवकों को प्रशिक्षित किए जाने के प्रयास किए जाएंगे।
सुमन ने बताया कि प्रशिक्षण पूरा करने वाले स्वयंसेवकों को उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की तरफ से प्रशस्ति पत्र के साथ ही एक आपातकालीन किट भी प्रदान की जाएगी। इस किट का इस्तेमाल वह आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्यों के लिए कर सकेंगे। किट में लाइफ जैकेट, सौर ऊर्जा से भी चार्ज हो सकने वाली टॉर्च अथवा आपातकालीन लाइट, सुरक्षा दस्ताने, चाकू, फर्स्ट एड किट, गैस लाइटर, सीटी, पानी की बोतल, मच्छरदानी, यूनिफॉर्म, बरसाती गम बूट, सेफ्टी गॉगल्स, सेफ्टी हेलमेट तथा बहु उपयोगी रस्सी शामिल रहेगी। इसके साथ ही स्वयं सेवकों का तीन साल के लिए लाइफ एवं मेडिकल इंश्योरेंस भी कराया जाएगा।