सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए अच्छी खबर, AIIMS में अब ‘TIPS' से होगा इलाज

Edited By Nitika, Updated: 01 Jun, 2024 12:19 PM

cirrhosis disease will now be treated with  tips  in aiims

क्रोनिक लीवर डिसीज (सिरोसिस) जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए अच्छी खबर है। इस बीमारी के निदान के लिए अब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित इकाई में ट्रांसजुगुलर इंट्राहेपेटिक पोटरसिस्टेमिक शंट (टिप्स)...

 

देहरादूनः क्रोनिक लीवर डिसीज (सिरोसिस) जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए अच्छी खबर है। इस बीमारी के निदान के लिए अब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित इकाई में ट्रांसजुगुलर इंट्राहेपेटिक पोटरसिस्टेमिक शंट (टिप्स) प्रक्रिया की सुविधा भी मिल सकेगी। यह वह प्रक्रिया है, जिससे लीवर में होने वाले पोर्टल हाइपरटेंशन को समाप्त कर दिया जाता है और मरीज का लीवर खराब होने से बच जाता है।

उत्तराखंड में एम्स ऋषिकेश अकेला ऐसा सरकारी स्वास्थ्य संस्थान है, जहां यह स्वास्थ्य सुविधा शुरू की गई है। एम्स के प्रवक्ता संदीप सिंह ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए बताया कि यहां के रेडियोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों ने हाल ही में एक ऐसे रोगी के लीवर का इलाज किया है, जो सिरोसिस की गंभीर बीमारी से जूझ रहा था और लीवर खराब हो जाने के कारण उसके पेट में बार बार पानी भरने की समस्या हो रही थी। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के बिजनौर निवासी इस रोगी की उम्र 40 वर्ष है। तकरीबन एक महीने पहले रोगी ने जब अपनी समस्या ओपीडी के माध्यम से एम्स के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के डॉक्टरों के सम्मुख रखी तो पता चला कि इस रोगी को लीवर सिरोसिस की बीमारी है। उन्होंने बताया कि मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के चिकित्सकों ने संस्थान के डायग्नोस्टिक इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों से समन्वय स्थापित किया।

इस संबंध में संस्थान के रेडियोलॉजी विभाग के डॉ. उदित चौहान ने बताया कि इस बीमारी की वजह से मरीज की किडनी खराब होने लगी थी। उसका शरीर भी बेहद कमजोर पड़ गया था। उन्होंने बताया कि इस बीमारी से ग्रसित किसी मरीज के लीवर के इलाज के लिए टिप्स की प्रक्रिया एम्स, ऋषिकेश में पहली बार अपनाई गई है। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया बेहद संवेदनशील और जटिल स्तर की थी। प्रक्रिया के दौरान लीवर में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचने, संक्रमण अथवा चोट लगने का खतरा होता है, लेकिन टीम वर्क से इसे बेहतर ढंग से अंजाम दिया गया। उन्होंने बताया कि मरीज अब स्वस्थ है और चार दिन तक अस्पताल में रखने के बाद उसे पिछले सप्ताह 23 मई को छुट्टी दे दी गई। टीम में रेडियोलॉजिस्ट डॉ. उदित चौहान के अलावा, गैस्ट्रो विभाग के डॉ. आनन्द शर्मा और ऐनस्थेटिक डॉ. वाईएस पयाल आदि शामिल थे।

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