Edited By Vandana Khosla, Updated: 27 Feb, 2025 09:31 AM
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देहरादूनः भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए बुधवार का दिन बहुत खास रहा। महाशिवरात्रि होने के चलते देवभूमि के अधिकांश शिवालयों में मंगलवार रात्रि से ही भक्तों की पंक्ति लगना शुरू हो गई थी। अनेक प्रमुख शिवालयों में बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए भक्त अपनी...
देहरादूनः भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए बुधवार का दिन बहुत खास रहा। महाशिवरात्रि होने के चलते देवभूमि के अधिकांश शिवालयों में मंगलवार रात्रि से ही भक्तों की पंक्ति लगना शुरू हो गई थी। अनेक प्रमुख शिवालयों में बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए भक्त अपनी बारी की प्रतीक्षा करते दिखाई दिए। इस दौरान जगह-जगह पर भंडारे भी आयोजित किए गए। वहीं, मंदिरों के बाहर उत्सव जैसा वातावरण रहा।
महा शिवरात्रि के पावन उपलक्ष्य में भगवान भोले के ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग बाबा केदारनाथ के शीतकालीन धाम श्री ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ से लेकर बाबा की ससुराल हरिद्वार ही नहीं, देवभूमि के सभी छोटे, बड़े मंदिरों में उत्सव का माहौल बना हुआ था। प्रमुख रूप से हरिद्वार में दक्षेश्वर मंदिर, देहरादून में टपकेश्वर मंदिर, ऋषिकेश में वीरभद्र, नीम करौली धाम, पौड़ी गढ़वाल में नीलकंठ, अल्मोडा में जागेश्वर धाम, बैजनाथ, बागेश्वर स्थित उत्तर भारत का एकमात्र दक्षिण मुखी प्राचीन शिव मंदिर बागनाथ, पौड़ी गढ़वाल जिले के थलीसैंण ब्लॉक में स्थित बिनसर महादेव मंदिर, चमोली जिले के बैरासकुंड स्थित प्राचीन बैरासकुंड महादेव मंदिर, चिंताहरण महादेव मंदिर में मंगलवार से ही श्रद्वालु जलाभिषेक करने पहुंचने लगे थे।
महाशिवरात्रि के मौके पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल भी टपकेश्वर महादेव मंदिर में पहुंचे थे। जहां उन्होंने जलाभिषेक किया। इस दौरान अग्रवाल ने कहा महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर को जल और बेलपत्र चढ़ाने का बहुत महत्व है। भगवान शिव को बेलपत्र बहुत प्रिय है, ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखते हुए सच्चे मन से भगवान शंकर को पूजने से सभी मनोकामना पूरी होती है।
इसके अलावा, देवभूमि के सभी मंदिरों में महादेव के जलाभिषेक के लिए श्रद्धालु शिवालयों के बाहर लंबी कतार लगाए हुए दिखाई दिए। उल्लेखनीय है कि प्रति वर्ष महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन देवाधिदेव महादेव ने गृहस्थ जीवन को अपनाया था।